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यहाँ तक कैसे पहुँचे
ये मत पूछना
न मैं बता पाउँगा,
न तुम समझ पाओगे...
मेरे बारे में जो सोचते हो,
वही रहने दो,
असलियत न बता पाउँगा
न तुम सुन पाओगे...
शहरयार नीरज
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