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बचपन से सुना था
ज़मी मिलती है
आसमां से कहीं
देखता रहा अरसों तक
मगर एक वहम से ज्यादा
कुछ दिखा नहीं.
जितनी हसरतें थी
खुद और इस दुनिया से
सपनों में ही रही
असलियत में तो आयी नही.
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