Share0 Bookmarks 44945 Reads0 Likes
बचपन से सुना था
ज़मी मिलती है
आसमां से कहीं
देखता रहा अरसों तक
मगर एक वहम से ज्यादा
कुछ दिखा नहीं.
जितनी हसरतें थी
खुद और इस दुनिया से
सपनों में ही रही
असलियत में तो आयी नही.
No posts
No posts
No posts
No posts
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments