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साँप-सीढ़ी सी यें ज़िंदगी.......

Aditya SharmaAditya Sharma March 24, 2023
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साँप-सीढ़ी सी यें ज़िंदगी, हर खाने कुछ सिखाती है,

आगे बढ़ने की ख़्वाहिश लिये चलता हूँ, डँस कर मुझे नीचे गिराती है,

साँस फूँक कर मंतर मरता हूँ..

पाँसे फेंकता हूँ

फ़िर उन्हें ताड़ता हूँ,

1 2 3 4 5 6.....

1 से 6 यहीं रुत बस चली आनी है,

गोटियाँ चलता हूँ आगे, साँप ने फ़िर डँस खानी है....

पर उम्मीद मैंने अभी नहीं हारी है,

भींच कर मुट्ठी में पाँसे,

एक बाज़ी और खेलने की ठानी है...

पलटते पाँसों के बीच, मैंने भी लिखनी अपनी कहानी है,

एक रोज़ वो सीढ़ी मेरे हिस्से भी आयेंगी, पाँसे फ़ेकने पर चाहें कुछ भी आयें,

मुझे वो 100 पर ले जायेंगी....

पर खेलता मैं फिर भी रहूँगा......

क्यूंकि…………

साँप-सीढ़ी सी यें जिंदगी, हर खाने कुछ सिखाती है,

आगे बढ़ने की ख़्वाहिश लिये चलता हूँ, डँस कर मुझे नीचे गिराती है।

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