
लिखा है मैंने वो जो ज़िंदगी से जाना है....
जाना-अनजाना हर समा दीवाना है,
यूँ तो हो जाती है हर किसी को मोहब्बत ज़िंदगी में,
पर मोहब्बतों में भी आज नफ़रतों का पैमाना है....
बड़ा ख़ूब लगता होगा तुम्हें मेरा ये दीवानो सा हाल,
लेकिन क्या बताए तुम्हें, मुझे इस दीवानेपन ने ही तो पाला है
सरसराहट ज़र्ज़हरात मेरी ज़िंदगी ख़ूब क़िस्से कहानी है,
थोड़ी तीखी थोड़ी मीठी, यही तो जिंदगानी है,
ढोल बजते है क़िस्से सुनाते है, यह आज के नेता यूँही तो हमारा मज़ाक़ उड़ाते है.....
मान लेते है हर झूँठ को सही,
धर्म की गोली देकर ये नेता हमारी साँस जो चलाते है,
देखा नहीं जाना नहीं, अरे वो हिंदू है "भाई को तूने पहचाना नहीं"
बहुत से छंद है, बड़े क़िस्से है, कहानी है...
कुछ तूने कहाँ कुछ मैंने सुना, कुछ मेरी ज़बानी है...
जानते है सभी पर बोलेंगे नहीं,
क्यूँकि सिर्फ़ मैं ही नहीं, यहाँ राधा भी दीवानी थीं और मीरा भी दीवानी है ।
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