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यही सब सोचकर अक्सर बहुत रोता है दिल मेरा
की शोहरत और दौलत ने मुझे बेघर बना डाला
बहुत मासूम और नादान,मैं था एक गांव का लड़का
मोहब्बत की थपेड़ों ने मुझे शायर बना डाला।
~ शाद गाज़ी
की शोहरत और दौलत ने मुझे बेघर बना डाला
बहुत मासूम और नादान,मैं था एक गांव का लड़का
मोहब्बत की थपेड़ों ने मुझे शायर बना डाला।
~ शाद गाज़ी
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