
Share0 Bookmarks 68 Reads0 Likes
तनहाई में वह वक्त को
कैसे गुजारती होगी
आईना देखकर जुल्फें
सवांरती होगी
उसके प्यार की खुशबू
हर एक शय में मौजूद है
शायद हथेलियों पे
मेहंदी उकारती होगी
उसकी पायल की छनक
आज भी आती है
बहुत याद मुझको
मैं जिस राह से आया था
उसे छोड़कर वो उसी
रास्ते को निहारती होगी।
- शाद गाज़ी
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments