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हंसी एक शाम होने को वो सूरज डूब जाता है
गुजरती रात फिर काली सुबह वो मुस्कुराता है
मेरे विश्वास की गांठे बहुत हल्के में ले ली थी
मुकद्दर में लिखा हो गर तो तारा टूट जाता है।
सफर भंवरे का फूलों के अधर को चूम लेना है
नदी के प्यार में पडकर समंदर डूब जाता है।
तेरी पाजेब की झंकार को पहचान तो लेते
नकाबों के उतरने से भी आशिक रूठ जाता है।
क़यामत से भला क्या डर कयामत रोज आती है
जब भी मजनू कोई लैला के खातिर मार खाता है
दीवारों और मीनारों से भी ऊंची सोच हो जिसकी
फकत जुल्फों में फसकर के वो उड़ना भूल जाता है
महज रिश्तों की खातिर ही पतंगा जान दे बैठा
बगरना शाद गाजी तो कहां अब दिल लगाता है।
~ शाद गाज़ी
गुजरती रात फिर काली सुबह वो मुस्कुराता है
मेरे विश्वास की गांठे बहुत हल्के में ले ली थी
मुकद्दर में लिखा हो गर तो तारा टूट जाता है।
सफर भंवरे का फूलों के अधर को चूम लेना है
नदी के प्यार में पडकर समंदर डूब जाता है।
तेरी पाजेब की झंकार को पहचान तो लेते
नकाबों के उतरने से भी आशिक रूठ जाता है।
क़यामत से भला क्या डर कयामत रोज आती है
जब भी मजनू कोई लैला के खातिर मार खाता है
दीवारों और मीनारों से भी ऊंची सोच हो जिसकी
फकत जुल्फों में फसकर के वो उड़ना भूल जाता है
महज रिश्तों की खातिर ही पतंगा जान दे बैठा
बगरना शाद गाजी तो कहां अब दिल लगाता है।
~ शाद गाज़ी
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