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तुम्हारे जाने के बाद बस अब कुछ हिस्से बचे है जिन्हें मैं लपेट कर सो जाया करता हूं
तुम्हारे काजल से लिपटी वो आज भी मेरे सिरहाने आकर सोती है ...
अब तो वो आलते की खुशबू भी भूल चुकी है ...
बहुत घुटन है अंदर ये दुनियां सवाल जो उठाती है ...
वहां से गुजरने पर मेरी खुशबू को टटोलता तुम्हारा मन तुम्हारे कदमों के साथ आज भी मेरे साथ चलता है...
आजकल तो मैं एक उदास पेड़ हो गया हूं
जिसकी टहनियों पर बैठे सारे पंछी उड़ चुके हैं
सारे घोंसले सूने पड़े हैं
जिसकी जड़ें अकेलेपन की और बढ़ रही हैं
हम जैसे पेड़ फूल नहीं दे पाते
पतझड़ में
तुम्हारे काजल से लिपटी वो आज भी मेरे सिरहाने आकर सोती है ...
अब तो वो आलते की खुशबू भी भूल चुकी है ...
बहुत घुटन है अंदर ये दुनियां सवाल जो उठाती है ...
वहां से गुजरने पर मेरी खुशबू को टटोलता तुम्हारा मन तुम्हारे कदमों के साथ आज भी मेरे साथ चलता है...
आजकल तो मैं एक उदास पेड़ हो गया हूं
जिसकी टहनियों पर बैठे सारे पंछी उड़ चुके हैं
सारे घोंसले सूने पड़े हैं
जिसकी जड़ें अकेलेपन की और बढ़ रही हैं
हम जैसे पेड़ फूल नहीं दे पाते
पतझड़ में
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