दम-ए-वस्ल's image
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हमारा भी खयाल यूं रखा करे कोई

तकिए को सीने से लगा हमे भी याद किया कर कोई


जो उंगलियों मे गेसू की लटे यूंही बुन लेते हो

ऐसा ही कोई खयाल हमारा बुने और बुना करे कोई


नींद के हर पहर मे जाग कर देखा करे वो

खयाल वो ख्वाब तो नहीं ऐसा भी सोचा करे कोई


हम से अब ना ही करे इश्क की उम्मीद

हमारे आख़िर मकाम को दिल्लगी ना कहे कोई


इंतजार भी कितना करे कोई जुनून तो हो

हिज्र के लिए ही दम-ए-वस्ल तो रखा करे कोई


सिर्फ़ राहत -ए- वस्ल ही है क्या 

जो भागा फिरता था मजनू  कोई


काटे दिन हिज्र भरे जो जिए वो फिर भी 

फ़िराक़ लिए ऐसी उन्स रखा करे कोई


तुम्हारे एक ख़्वाब की खातिर निंदे बैच दी मजदूरी भर में

जमान मुझे फ़रहाद  न कहे पर मांझी से कम भी ना कहे कोई


अर्थ:

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