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थाम कर हाथ तेरा, अनजाने शहर को अपनाया,
मुश्किल थी घड़ियां बहुत, सभी दर्दों को अपनाया,
आशियाना बनाए इस महफिल में, दूर तक ले जाना,
सांसों की इस लड़ी को, अपने प्यार से सैहलाना,
नजदीकियां बढ़ाकर तुम, रिश्ते में प्यार लाना,
दुनिया की उंगलियों पर, तुम जरा ना इतराना,
लोग रंग बदलते हैं, जीने के ढंग बदलते हैं,
सच्चा साथी मिल जाए, हर कली खिल जाती है,
रिश्तो को प्यार की, सहानुभूति मिल जाती है,
खड़े रहना तुम मेरे लिए, दुनिया से तुम लड़ जाना,
तुम्हें मान लिया है, सब कुछ अपना,
दूरियां हमसे ना अब बढ़ाना,
अनजाने शहर में, हमें अकेला ना छोड़ जाना,
सीमा सूद ✍️ स्वरचित रचना
दोराहा जिला लुधियाना।।
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