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शिवकी लीला अपरंपार,
शिव के भरोसे चले सारा संसार,
भोले भाले होकर भी,
दुनिया को तारा है,
शिव जैसा कोई दूजा कहां,
खुद विष का पान कर,
सबको अमृत दे डाला है,
सर पर विराजे चंद्र,
त्रिशूल की धार का अंदाज निराला है,
शिव की लीला अपरंपार,
शिव के भरोसे चले सारा संसार,
जटाधारी ने हमको गंगा का वर्दी डाला है,
भीष्म पितामह से सरताज का भी नाम दे डाला है,
कानों में कुंडल बहुत ही बातें हैं,
नीलकंठ विराजे लगते बड़े प्यारे हैं,
शिवालय में है डेरा लगाया,
भक्तों को है खूब दौड़ाया,
कठिन चढ़ाई चढ़कर जाए,
मेहमा इसकी कहीं ना जाए,
डमरु से जब ताल बजे,
स्तुति सारा संसार करें,
जब जब क्रोध में आते हैं,
शक्ति से संभाले ना जाते हैं,
तन पर डाले शेर की शाल,
नंदी की सवारी करें,
जगत कल्याणकारी शिव भोले,
सब पर ही मेहर करें।।
भोले भाले होकर भी यह,
दुनिया भर का ज्ञान देते हैं,
जब जब आए बीते भक्तों पर,
तो उनको थाम लेते हैं।।
सीमा सूद ✍️ स्वरचित रचना
सतनाम नगर दोराहा,
जिला लुधियाना।।
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