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कीचड़ में भी रहकर,
अपना मुकाम बना पाया है,
कमल जैसा महान कौन,
जिसने गंदगी में रहकर भी,
अपना अस्तित्व पाया है।।
सीमा सूद ✍️ स्वरचित रचना
लुधियाना पंजाब दोराहा
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