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खेलते थे खिलौनों से,
जो बचपन मे समाज थे,
दुनिया की भीड़ में,
वो खिलौने छूट गए हैं,
खेला करते हैं,
अब जज्बातों से,
क्योंकि..........
हम अब बड़े हो गए हैं।।
सीमा सूद ✍️ स्वरचित रचना
दोराहा जिला लुधियाना।।
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