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जो फूल बनके खिलते हैं,
जिंदगी की आंधियों से,
वजूद उनके नहीं हिलते हैं,
हवाओं का झोल आता जाएगा,
हरदम उस फूल को,
गिरने के लिए उकसाएगा,
आंधी आए जा आए तूफान,
फूल की खुशबू बरकरार रहती है,
भले ही गिर जाए वह जमीन पर,
माटी में उसकी खुशबू बरकरार रहती हैं।।
सीमा सूद ✍️ स्वरचित रचना
दोराहा जिला लुधियाना।।
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