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दिन महीने सालों का गुजरना हो सकता है,
कदम कदम पर इसको समझना हो सकता है,
कदम कदम पर इसको समझना हो सकता है,
वक्त की मार का जिंदगी पर पहरा हो सकता,
कतरा कतरा सहेज जिंदगी का वक्त गुजर सकता है,
तिल तिल मरना तिल तिल जीना हो सकता है,
कठिन परिश्रम जीवन सफर हो सकता है,
कांटो पर चलकर एहसास चुभन का हो सकता है,
काट दे इन सबको जीवन बहाल हो सकता है,
समुंदर तट सा सुखी संसार हो सकता है।।
सीमा सूद ✍️ स्वरचित रचना
सतनाम नगर दोराहा
जिला लुधियाना
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