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हम शब्दों की भाषा,
नहीं जानते थे,
पर बात समझ जाया,
करते थे,
हम शब्दों को तराशना,
नहीं जानते थे,
ना जाने कहां से शब्द,
जेहन में,
अब आने लगे है,
आशियाना अपना,
हमारे दिल में,
अबे बनाने लगे हैं,
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