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हम जो चले
हम जो चले, शब्द संग संग चल पड़े,
कागज और कलम से, हम दोस्ती कर चले,
पहनाया है हमने, शब्दों को जामा प्यार का,
सुनसान सी गलियों में भी, साथी बन चले,
प्यार हमसे कितना, अब कहा ना जाएगा,
हमारे दिल की वादियों में, बुलंद अपनी हस्ती कर चले,
सोचने से पहले ही, छाप अपनी छोड़ देते हैं,
कागज पर छपने से पहले ही, दिल में जगह बना लेते हैं,
एहसान कितने इनके, यह जिताया ना जाएगा,
हमारे दिल में इनकी हस्ती क्या, यह बताया ना जाएगा,
जन्म लेते ही यह, कागज पर उतर जाते हैं,
मन मेरे के गीतों को, अपने शब्दों से गुनगुनाते हैं,
शब्द है अपार, अपार इनकी शक्ति है,
कागज कलम के बिन, पिआदो की क्या हस्ती है।।
सीमा सूद ✍️ स्वरचित रचना
सतनाम नगर दोराहा
जिला लुधियाना।।
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