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धरती से आकाश तक,
आकाश से पाताल तक,
अपना जादू तूने चलाया है,
कण-कण में वास करने वाले,
मुझे तो तू ही भाया है।
सीमा सूद ✍️ स्वरचित रचना
दोराहा (जिला लुधियाना)
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