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बात बात पर दुनिया
मिजाज बदलती है,
जीवन के हसीन पन्नों की,
किताब बदलती है,
सिद्धांतों का दौर गया,
सब सिखाने में लगे हैं,
पाठ अपनी जीवनी का,
पढ़ाने में लगे हैं,
प्यार का सपना,
साकार नहीं हो पाएगा,
तकरार में जीवन का,
वक्त यूं ही कट जाएगा,
सलमान अपनों को देना,
भूल जाते हैं, अपने अनचाहे,
जज्बातों को काबू ,
नहीं कर पाते हैं,
मन बैरी बन कर अब,
ठगने लग गया है,
अनजाने से रास्तों पर,
अब अब चलने लग गया है,
कैसे इस पर रोक लगाए,
मान जीवन का,
हम फिर से बढ़ाएं,
जीवित आत्मा बनकर,
हम जीय पाए,
परमात्मा से ध्यान,
अपना लगाएं,
असंभव को संभव,
करके दिखलाएं।।
सीमा सूद ✍️ स्वरचित रचना
सतनाम नगर दोराहा।
जिला लुधियाना।।
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