
Share0 Bookmarks 36 Reads0 Likes
जहाँ विश्वास नहीं रहता है,
वहां श्रद्धा नहीं रहती है।
मुझे आपको श्रद्धा करनी है, कैसे?
पहले तो आप पर विश्वास होगा।
विश्वास के सिवा प्रेम नहीं जन्म लेता।
प्रेम के सिवा भक्ति नहीं जन्म लेती।
भक्ति के सिवा नहीं जन्म लेती श्रद्धा।
यह सिर्फ पति पत्नी की बात नहीं है,
यह पूरी जगत और पूरा संसार की बात है।
आदमी आदमी को विश्वास करेगा।
औरत औरत को विश्वास करेगी।
आदमी औरत को विश्वास करेगा।
और औरत आदमी को विश्वास करेगी।
ऐसे ही बनता है समाज।
और विश्व श्रद्धा की गोद में हंसता खेलता रहता है।
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments