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स्कूल में पेय जल की व्यवस्था नहीं थी।
गाँव का स्कूल।
आज से बीस साल पहले वह यहाँ पढ़ता था।
बरगद का पेड़, खेल का मैदान और स्कूल की बेंच
इसके चश्मदीद गवाह हैं।
वह नहीं भूल पाया अपना बचपन।
वह शहर से लौट कर आया अपना गाँव में।
माँ को अपना बच्चा मिल गया।
वह एक लाख रुपये खर्च किया
अपनी माँ के आंसू बंद करने के लिए।
जल का नाम जीवन है।
जीवन का नाम सेवा है।
सेवा का नाम धर्म है।
और धर्म का नाम है मानवता।
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