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‘मेरी बेटी की शादी।
कुछ दीजिए’।
मेरे पास सौ रुपये का नोट था।
मैं आगे निकल गया।
मेरे पीछे मेरा पिताजी था।
वह दस रुपये उसके हाथ में दिया
और बताया, 'ख़राब लगता है, मैं क्या करूँ'।
मुझे भी ख़राब लग रहा था।
मेरे पास छुट्टा नहीं था।
दिल तो सबके पास ही होता है।
दिमाग भी।
लेकिन उपयोग अलग है,
इसलिए किसी का शादी प्यार का फसल है
और किसी का वह समय (नियति) का फसल है।
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