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प्यार का मतलब सिर्फ सिनेमा नहीं,
बल्कि प्यार मानवता का एक रूप है।
जो खुद को सही से प्यार नहीं कर पाते,
वह दूसरे को पसंद नहीं करते।
जो दूसरे को सही से प्यार नहीं कर पाते,
वह खुद को पसंद नहीं करते।
अगर प्यार में कोई कमी रहे गयी,
तो वह व्यक्ति प्यार रख भी नहीं पाता।
सिनेमा में किरदार मिलता हैं,
लेकिन यहां किरदार ढूंढना पड़ता हैं।
इंसान प्यार का नौकर है-
पहले खुद का नौकर बनो-
उसके बाद देखोगे कि सब लोग तुम्हारा नौकर बन गए।
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