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हर धर्म में
उदार और संकीर्ण लोग
होते हैं।
धर्म सबको उदारता सिखाता है,
संकीर्णता कभी नहीं।
धर्म का जन्म
मन के आधार पर
हुआ था,
इसलिए धर्म को लोग
छोटा करते हैं।
किसी का मन बड़ा है
तो किसी का छोटा।
लेकिन धर्म हमेशा
एक बड़ा मन का परिचय है।
एक बात हम लोग भूल जाते हैं,
धर्म के भीतर लोग नहीं रहते,
लोगों के भीतर धर्म रहता है।
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