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दो साल मैं बैठा रहा।
समय कभी बैठता नहीं-
वह दौड़ता है घोड़े की तरह।
मैं उसके साथ दौड़ नहीं पाया-
यह अफसोस की बात है।
क्यों मैं दौड़ नहीं पाया?
इसलिए कि मेरे पास नौकरी नहीं थी।
क्यों मैं गिर नहीं गया?
इसलिए कि मेरा मन सोचना नहीं बंद किया।
क्यों मैं जिन्दा हूं?
इसलिए कि मेरा दिल मेरा मन को सही रास्ता दिखाया,
दिल की धड़कन सुनाई दी- इसलिए कभी नहीं।
कमाई ज़िंदगी की भाषा हो सकती है,
लेकिन ज़िंदगी की आशा कभी नहीं।
इसका मतलब, मैं ज़िंदगीभर बैठना नहीं चाहता-
मैं मेरी भाषा और आशा के बीच एक संतुलन रखना चाहता हूं।
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