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मेरा कंप्यूटर ख़राब हो गया।
उसे मरम्मत करने के लिए दुकान में भेजा।
दो विषयों की जानकारियां उसमे।
माँ ने कही,
'बायां हाथ में जो काम करता हो,
उसे संभलकर रखना'।
बाप ने कहा,
'दांया हाथ में जो काम करता हो,
उसे संभलकर रखना'।
बायां हाथ में मैं लिखता हूँ कल्पना
और दांया हाथ में लिखता हूँ गणना।
गणना करने के लिए कल्पना करनी पड़ती है।
पहली शिक्षा माँ देती है।
पैसा गिनकर खाना ज़रूर मिलेगा,
लेकिन सिर्फ पेट भरने से कुछ नहीं होता है-
मन भी भरना चाहिए।
बाप जीविका का रास्ता दिखाता है
और माँ जीने का।
सपना देखता हूँ,
इसलिए काम कर सकता हूँ।
यह बात भी सही है-
भूखा इंसान कुत्तों की तरह जीता है-
कुत्तों की सोच नहीं हैं।
मुझे दो जानकारियां बचाना हैं-
कल्पना और गणना।
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