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धर्म एक-
वह है मानवता।
लेकिन मानव दो प्रकार-
सही और ग़लत।
सही कहते हैं,
हम सब एक साथ जीना चाहते हैं।
ग़लत कहते हैं,
सिर्फ मुझे जीना है।
धर्म जब सही तरीके से प्रदर्शित होता है-
वह महान।
अगर वह ग़लत तरीके से प्रदर्शित होता है-
वह कट्टरता।
धर्म आज़ादी की बात करता है।
धर्म बंधन का भी बात करता है।
हम आसमान की पंछी हैं,
पिंजरे का पंछी भी हैं-
हमारा दो रूप।
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