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अपनी भावनाएं को लिखने के लिए
सिर्फ मन की भाषा की ज़रूरत है
कोई देश की भाषा की ज़रूरत नहीं।
मन की भाषा सभी देशों में एक जैसी होती है-
देशों के नाम अलग हैं,
देशों की भाषाएं अलग हैं-
लेकिन भावनाएं सभी देशों में एक जैसी हैं।
सिर्फ लोगों की भावनाएं एक देश के साथ दूसरे देश को जोड़ती हैं।
जिसदिन लोगों की भावनाएं ख़त्म हो जाएगी,
उस दिन तीसरा विश्व युद्ध जन्म लेगा-
जब मन में युद्ध लगता है,
तब समझो मन के अंदर भावनाएं मर चुकी हैं।
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