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मरुस्थल की धूप में,
सुखे हुए कूप में,
तेरे स्वच्छ सुन्दर रुप में,
लहरते गेंहू की बाल में,
मेरे सुन्दर भूतकाल में,
फंसे हुए उस जाल में,
खिलखिलाते पेड़ो
सुखे हुए कूप में,
तेरे स्वच्छ सुन्दर रुप में,
लहरते गेंहू की बाल में,
मेरे सुन्दर भूतकाल में,
फंसे हुए उस जाल में,
खिलखिलाते पेड़ो
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