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'अर्धविराम'

SiddharthSiddharth March 30, 2023
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तुमसे मिले एक ज़माना हुआ है 
ज़माना ही क्यों 
यूँ कहूँ कि एक उम्र गुज़र गई 
उम्र ही क्यों 
कहूँ कि सदियाँ बीत गईं 
या 
यूँ कहूँ इस कायनात का 
आरंभ और अंत देख लिया मैंने 
अब मिलना हो तुमसे 
अगर कभी 
तो इस वर्षों के ठहराव को 
इन अर्धप्रस्फुटित हृदय उद्गारों को 
और मृत पड़ी उस जीवट को 
समेट कर 
तुम्हें सौंप दूँ ।

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