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सजा लूँगा सितारें कुछ नए,
इस अधीर अम्बर पर।
ढूंढ लाऊँगा खुद को फिर,
अपने उस खोए मंजर पर।
मुसाफिर
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सजा लूँगा सितारें कुछ नए,
इस अधीर अम्बर पर।
ढूंढ लाऊँगा खुद को फिर,
अपने उस खोए मंजर पर।
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