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कुष्ठ-रोगी !

saurabshukla164saurabshukla164 March 27, 2022
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कुष्ठ-रोगी !

अपने हाथ-पेैरों को 

हर पल खोता है

अपनी अनामिका से 

अपने प्रिय ईश्वर को

तिलक नहीं कर सकता 

किन्तु यह रोग !

आँखों को नहीं होता

ताकि देख सके रोगी

अपने मन को गलते हुए -

कहानियां कहती हैं दिनों को

उपन्यास कहता है युगों को

कविता कहती है क्षणों को

इनके बीच जो

छूट ! जाती हैं बातें

वो कवि का

कुष्ठ-रोग बन जाती हैं ...



~ अबीर

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