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कुष्ठ-रोगी !
अपने हाथ-पेैरों को
हर पल खोता है
अपनी अनामिका से
अपने प्रिय ईश्वर को
तिलक नहीं कर सकता
किन्तु यह रोग !
आँखों को नहीं होता
ताकि देख सके रोगी
अपने मन क
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कुष्ठ-रोगी !
अपने हाथ-पेैरों को
हर पल खोता है
अपनी अनामिका से
अपने प्रिय ईश्वर को
तिलक नहीं कर सकता
किन्तु यह रोग !
आँखों को नहीं होता
ताकि देख सके रोगी
अपने मन क
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