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वक़्त भी था बेनिशाँ, लफ्ज़ भी थे बेज़ुबाँ,
दिल में कई बात थी,
जो आसुँओं में कह गये।
तुम्हें भी यक़ीन था, मुझे भी गुमान था,
पर प्यार के हर सिलसिले,
सिलसिले ही रह गये ।।
© Saurabh M Pandey
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