जाति और प्यार's image
Poetry1 min read

जाति और प्यार

सौरभसौरभ March 27, 2023
Share1 Bookmarks 0 Reads0 Likes
लड़का हूं पंडित का मेरी क्या खता है 
मैं नहीं जानता उसकी जात क्या है

धोबन है कहारिन है या कुछ और है
जो भी हो जात हुस्न की सिरमौर है 

जैसी भी है उसकी निगाहें शमशीर है
चलाती मेरे दिल पर इश्क़ के तीर है

अधरों से उसके दिल पर अंकित हो
इस क़दर अब मेरा प्यार प्रस्फुटित हो

ये झूठी परंपरा ये बेकार रीति-रिवाज 
क्या हमें एक होने देगा ये समाज।

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts