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तुम्हारा प्रेम-पत्र (एक प्रेम-रस की कविता) - सौरभ सुमन की कलम से

Saurabh SumanSaurabh Suman October 30, 2022
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अभी रात्रि के कई प्रहर हैं बाकी,

सवेरा को छलता घोर तिमिर की झाँकी।।

निंदिया को अँखियों से परे झटकाए,

नयनपट पर स्मृति की वृतांत सजाए।।

मुस्कान ओंठो पर लाके अति मोहक,

हृदय कुंज में प्रीत भरके अति पावक।।

उँगलियों में तुलिका दबाए लजाती,

मन में शब्दें बुनकर, पलकें झुकाती।।

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