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मनुष्य कर्म के चित्रक, आयुध कलम दवात,
धर्मापति धर्म प्रबंधक, शीतल ज्ञान प्रपात।
शीतल ज्ञान प्रपात, त्रिदेव-गुण, साध समर्थ,
मैं मूढ़ मति अज्ञात, हे कुल श्रेष्ठ कायस्थ,
निर्गुण-सगुण प्रवीण, प्रभुवर ज्ञान केतु भरो,
मैं निज वत्स चित्रांश, मस्तक वरद हस्त धरो।
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