
"सशक्त स्त्री /आधुनिक स्त्री"
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जब स्त्री की शक्ति और आधुनिकता की बात आती है तो ध्यान देने पर अपने आस पास ही बहुत सारी शक्ति स्वरूपा दिखाई दे जाती हैं ...
सबसे पहले दिखती है एक माँ / एक गृहणी जो दिनभर काम में जुटी रहती है ... अपने नहीं अपनों के काम में , और उसके माथे थकान की एक शिकन भी नहीं होती है ...'मेरी दृष्टि में' वो एक सशक्त स्त्री है ...!
मेरा ध्यान जाता है पड़ोस की उस स्त्री पर जिन्हें गाँव से शहर पहुँचे अभी मात्र चार वर्ष हुए हैं उनका रहन सहन / बोलचाल भी बहुत साधारण है ... स्वयं को आधुनिक समझने वाले कुछ लोग उनके रहन सहन को हेय दृष्टि से भी देख सकते हैं ... लेकिन उन्हें घर से लेकर बाहर तक के छोटे बड़े किसी भी कार्य के लिए किसी के सहयोग की आवश्यकता नहीं होती ...'मेरी दृष्टि में' वो आधुनिक दिखने वाली स्त्रियों से अधिक आधुनिक और सशक्त स्त्री हैं ...!
मेरा ध्यान जाता है हर एक उस कामकाजी स्त्री पर जो जिस लगन से बाहर ऑफ़िस /स्कूल में काम करती है उसी जतन से अपने घर परिवार का भी ख़याल रखती है...अपने सभी पारिवारिक और सामाजिक उत्तरदायित्वों का निर्वहन करती है ...'मेरी दृष्टि में' वो आधुनिक और सशक्त स्त्री हैं ...!
मेरा ध्यान जाता है मेरी कामवाली पर जिसका पति घर पर बैठकर आराम करता है वो सुबह से लेकर शाम तक घर घर झाड़ू पोंछा करके और बर्तन माँजकर अपना घर चलाती है ... 'मेरी दृष्टि में' वो स्त्री पुरुष से अधिक सशक्त स्त्री है ...!
तब एक एक कर ऐसे कई उदाहरणों से होकर चलते हुए, हमें दिखाई देती हैं वो आधुनिक महिलाएँ, जो सशक्तिकरण और आधुनिकता के नाम पर विलासिता को ओढ़कर स्वयं को आधुनिक साबित करने की होड़ में सभी रिश्तों, मर्यादाओं और सभ्यता को पीछे छोड़ रही हैं ... जिनके बच्चों को संस्कार देने के लिए वो स्वयं उदाहरण नहीं होतीं .... जिनके बच्चों के पास वो स्वयं नहीं होतीं ... जिनके पास पार्टियों के लिए तो पर्याप्त समय होता है ... लेकिन बच्चों एवं अपने माता पिता के लिए उनके पास समय नहीं होता है ... 'स्वयं की दृष्टि में' वो भी सशक्त और अति आधुनिक हैं ...!
सशक्तिकरण और आधुनीकीकरण की अपनी अपनी परिभाषाएँ और अपने अपने अर्थ ... हर अर्थ को प्रणाम ... किसी को नज़दीक से तो किसी को दूर से ...!!
- सौम्या श्रीवास्तवा "सौम्यवर्षा"
#सौम्यवर्षा #SheTheLeader #WomensDay
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