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" मोहब्बत के ज़माने "
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वो तेरी तस्वीर को
टिक कर पहरों देखते रहना ..!
वो हर लम्हा बेख़याली में
तुझको ही सोचते रहना ..!!
वो तेरी गहरी आवाज़ को
डूबकर सुनते रहना ..!
वो तेरे सवाल के जवाब में
मेरा बस चुप रहना ..!!
वो मिलते ही नज़रें दफ़अतन
नज़रों का झुक जाना ..!
वो नज़दीक आती हाथेलियों का
ख़ुद में ही सिमट जाना ..!!
वो जागना संग चाँद-तारों के
टिक के शब के शानों पर ..!
वो लिखना कहकशाँ से ग़ज़लें
आसमाँ की पेशानी पर ..!!
वो हिकायतें मोहब्बत की
वो हसीं तराने वो फ़साने ..!
बारहा आते हैं याद मुझे
मोहब्बत के वो गुज़रे ज़माने ...!!!
-सौम्या श्रीवास्तवा "सौम्यवर्षा"
#सौम्यवर्षा
#poetry
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