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कोरोना ने कर दिया हमको परेशान,
ये केसा खतरा अनजान,
जिसकी नहीं कोई पहचान ||
कब मिलेगा हमें इस महामारी का ईलाज,
जिसने झंझोड़ दिया देशोंको, और कर दिया लोगोंको ख़ाक ||
घरोंसे निकलना इसने कर दिया मुश्किल,
ना मिल रही ताजी हवा,
ना हो रहा कुछ हासिल ||
देख के सबको घरपे,
मेरी बिल्ली भी हो गयी है खफा,
कहती है रोज हमसे,
हो जाओ इधरसे दफा ||
अब धोने पडेंगे हाथ,
बनाना पड़ेगा लोगोंसे अंतर, जबतक करता नहीं कोई वैज्ञानिक,
इस बिमारी को छूमंतर ||
-सौमित्र खानोलकर
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