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छोड़ आये वो मंज़र सारे,दिख गया था जिधऱ खुदा हमें,
दूर दूर तक घूमे हम,
पर नहीं मिली वो दुआ हमें ||
पैसोंके इस खेल ने हमको,
बहुत दूर तक दे उछाला,
ढूंढ़ना चाहा मंदिरोंमें, पर नहीं मिला वो खुदा हमें ||
अलग अलग धर्मोंमे बट गए सारे,
लड़ाइयाँ हुई बेशुमार, ना मिली शांती की आशा,
ना मिला हमारा खुदा हमें ||
अंत मे मिल गया खुदा,
और खतम होगई खोज,
जब खुदके अंदर झाँका,
तब हल्का हुआ दुनियाका बोज ||
-सौमित्र खानोलकर
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