Share0 Bookmarks 31724 Reads1 Likes
रोजमर्रा कि हैं तकलिफें, जहाँ में सुखों का तिरस्कार।
श्री जन कबूल तो करियें, इस अजनबी का नमस्कार ॥१॥
बताएगें कुछ राज कि बातें जहां कि हैं हमारि पैदाइश।
आया हैं हम यहाँ वक्त बिताने को ढुंढ के रें गुञ्जाइश॥२॥
भडासें तो है दिल में बहुत सी, पता नहिं क्या निकलेगें।
यत्न करेगें ना हो आलोचना आपकी, ना हम पें खेलेगें॥३॥
बर्फ कि सबसे उचें चोटियों कि तलहटि में बसेरा हमारा।
भिनि सी खुश्बु गुराँस कि राजधानी बस शिव हि सहारा॥४॥
चन्द्र सूर्य सत् के साक्ष हैं, जिनकें ध्वज के निलें किनारें।
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments