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हे प्रिय मेरे मनमीत मेरे, जीवन में तेरे आने से
चित चितवन तेरी छवि, मन दर्पण पर छाने से
रसवंती सुमन मधु, अनुराग सुधा बरसाने से
क्षिप्त मन अब शांत हुआ, प्रेम दीप जलाने से
ताल हृदय का स्पंदन, उद्वेलित उमंग जगाने से
है झंकृत मेरा अंतर्मन, मर्मस्पर्श तेरा पाने से
मृगनयन कोमल तेरे, उर प्रतीति मेघ छाने से
पल्लवित मानस मेरा,मृगतृष्णा दूर हो जाने से
जीवंत मेरा चेतन तेरे, आभा नूतन जगाने से
हे प्रिय मेरे मनमीत मेरे, जीवन में तेरे आने से
-सत्येंद्र ठाकुर
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