
Share0 Bookmarks 202 Reads1 Likes
अभी मुझमें मैं बाकी हूं,
चलता हूं, गिरता हूं, उठता हूं और फिर चलता हूं,
कभी टूटता हूं, कभी बिखरता हूं और फिर जुड़ता हूं,
कभी थकता हूं, कभी बुझता हूं पर फिर जलता हूं,
क्योंकि.....
मुझमें अभी मैं बाकी हूं।।
"सत्येन्द्र"
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments