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अरे भारत की खोज में आए हो!
मिट्टी की मूरत लाए हो?
मिट्टी ही यहां जप-तप हैं,
मिट्टी ही यहां भिक्षु, नृप हैं।
मिट्टी को माथ लगाओगे;
तब जान सकोगे भारत को।
भारत सत्ता पर नहीं,
खेतों में बैठा है;
रंग माटी में सना,
आतप अंगारों में लेटा है।
जब थोड़ा श्वेद बहाओगे;
तब जान सकोगे भारत को।
पर,
जब-जब सत्ता पर आंच आई है
तब तब तलवार गरमाई है
मत भारत को समझो निर्वेद
हां रक्त क्रांति भी आई है।
आंखों में अंगारे भर लो
तब जान सकोगे भारत को।
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