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चरवाहे सा जीवन मेरा ,
तेरे लिए रुक जाऊँ क्या ?
खुद के लिए बहुत जी लिया,
तेरे लिए मर जाऊँ क्या ?
जीवन के पथ पर अब तक,
ना जाने कितने मीत मिले,
कुछ से मन व्यथित हुआ,
कुछ से यादों के फूल खिले,
पर मन, तुमसे मिल ही गया तो,
दूसरों से इश्क लगाऊँ क्या ?
खुद के लिए बहुत जी लिया,
तेरे लिए मर जाऊँ क्या ?
पहले तो तुम मीत बने,
फिर जाने कब तुम प्रीत बने,
फिर धीरे से साथी बन,
सारे सुख - दुख के गीत सुने ,
तुझसे ही जीवन की व्यथा कहूँ,
किसी और को दर्द सुनाऊँ क्या ?
खुद के लिए बहुत जी लिया,
तेरे लिए मर जाऊँ क्या ?
न जाने क्यूँ तू रूठ चला,
सारे बंधन को तोड़ चला,
साथी को बिन साथ लिए,
पथ मे अकेला छोड़ चला ,
यदि सचमुच रूठे हो, तो बोलो,
तू माने तो मनाऊँ क्या ?
खुद के लिए बहुत जी लिया,
तेरे लिए मर जाऊँ क्या ?
- सत्य नारायण तिवारी
तेरे लिए रुक जाऊँ क्या ?
खुद के लिए बहुत जी लिया,
तेरे लिए मर जाऊँ क्या ?
जीवन के पथ पर अब तक,
ना जाने कितने मीत मिले,
कुछ से मन व्यथित हुआ,
कुछ से यादों के फूल खिले,
पर मन, तुमसे मिल ही गया तो,
दूसरों से इश्क लगाऊँ क्या ?
खुद के लिए बहुत जी लिया,
तेरे लिए मर जाऊँ क्या ?
पहले तो तुम मीत बने,
फिर जाने कब तुम प्रीत बने,
फिर धीरे से साथी बन,
सारे सुख - दुख के गीत सुने ,
तुझसे ही जीवन की व्यथा कहूँ,
किसी और को दर्द सुनाऊँ क्या ?
खुद के लिए बहुत जी लिया,
तेरे लिए मर जाऊँ क्या ?
न जाने क्यूँ तू रूठ चला,
सारे बंधन को तोड़ चला,
साथी को बिन साथ लिए,
पथ मे अकेला छोड़ चला ,
यदि सचमुच रूठे हो, तो बोलो,
तू माने तो मनाऊँ क्या ?
खुद के लिए बहुत जी लिया,
तेरे लिए मर जाऊँ क्या ?
- सत्य नारायण तिवारी
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