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मेरी प्यारी प्रियवदन संगिनी,
राज दिलों की दो तुम खोल,
हों न निराश, करो न निराश ,
एक बार कुछ दो तुम बोल ॥
मेरी बातों पर करो गौर ,
खत मे ज़ज्बात पिरोया है ,
हर क्षण वियोग को याद कर ,
कई दफा दिल रोया है ॥
गलती मेरी मै मान लिया ,
अब दिल पर कोई बोझ नहीं ,
मेरे इस लघु जीवन में ,
तुम समान कोई और नहीं ॥
तुम भी
राज दिलों की दो तुम खोल,
हों न निराश, करो न निराश ,
एक बार कुछ दो तुम बोल ॥
मेरी बातों पर करो गौर ,
खत मे ज़ज्बात पिरोया है ,
हर क्षण वियोग को याद कर ,
कई दफा दिल रोया है ॥
गलती मेरी मै मान लिया ,
अब दिल पर कोई बोझ नहीं ,
मेरे इस लघु जीवन में ,
तुम समान कोई और नहीं ॥
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