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प्रियतम को पाती लिख पाऊँ,
इस योग्य पिता ने बनाया है,
सुन्दर उत्तर खत पढ़कर के,
दुख हरो जो मन पर छाया है।
नाहक ही रखते हो विषाद,
अब दिल पर कोई बोझ न लो,
तुमको क्या लगता मै खुश हूँ,
दुख व्यथा भी मेरी सुन ही लो ।
अमावस की काली रातों का,
रंग आँसू के संग घुलते है,
इस योग्य पिता ने बनाया है,
सुन्दर उत्तर खत पढ़कर के,
दुख हरो जो मन पर छाया है।
नाहक ही रखते हो विषाद,
अब दिल पर कोई बोझ न लो,
तुमको क्या लगता मै खुश हूँ,
दुख व्यथा भी मेरी सुन ही लो ।
अमावस की काली रातों का,
रंग आँसू के संग घुलते है,
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