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मैं शून्य था अब भी हूूँ।
कुछ चीजें कभी पूर्ण नह ीं होती, अधूरा तब भी था अब भी हूूँ।।
वो कहते हैं खुश रहो जीवन की प्रगतत में।
मैंने भी चुन लिया खुश दिखना जीवन की इस ववषम िुगणतत में।।
जीवन में सन्नाटा काटता रहता है।
पर मानव हूूँ, मन तब भी िूसरों को खुश करता था अब भी करता रहता है।।
जीवन के हर सन्नाटे एकाींत नह ीं होते।
हर अन्तववणरोध व अकेिापन सिा तन्हाई नह ीं होते।।
जीवन मे कई बार सब कुछ कसैिा होता है।
महफििें भी होती है और शाम भी सबाब भी फिर भी इींसान अकेिा होता है।।
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