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ऐसी तनहाई कि उफ अब सही नही जाती,
बिन तुम्हारे ये दाॅसता भी कही नही जाती।
दिन तो कट जाता है जहाँ की बातों में,
रात की खामोशी अब और सुनी
बिन तुम्हारे ये दाॅसता भी कही नही जाती।
दिन तो कट जाता है जहाँ की बातों में,
रात की खामोशी अब और सुनी
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