खुबाब's image
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कोई तस्वीर है जो इक पल भी आंखों से नहीं ओझल हर वक्त दिखाती है मुझे खुबाबो का आईना।
 समन्दर सी गहरी आंखें जिनमें खो गया हूं कही हो गया हूं दर-बदर न कोई मंजिल न कोई सहर।
ये चांंदनी रात उलझा देती है मुझे और दिखाती है मुझे जन्नत सा आईना
कोई तस्वीर है जो दिखाती है मुझे खुबाबो सा आईना।

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